राजस्थान सरकार ने किसानों और पशुपालकों की आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना लागू की है। यह योजना खासतौर पर उन छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है, जो अपनी आय का बड़ा हिस्सा पशुपालन से प्राप्त करते हैं।
क्या है योजना का उद्देश्य?
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुधन रीढ़ की हड्डी के समान है। सूखा, बाढ़, बीमारियाँ या अन्य कारणों से पशुओं की अचानक मौत होने पर किसान और उनके परिवार को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को देखते हुए सरकार ने यह बीमा योजना शुरू की ताकि किसी भी आकस्मिक परिस्थिति में किसानों को मुआवजा मिल सके और उनकी आय पर असर न पड़े।
कौन-कौन से पशु होंगे कवर?
इस योजना के तहत गाय, भैंस, ऊंट, बैल, घोड़ा, बकरी और भेड़ समेत अन्य आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पशुओं का बीमा कराया जा सकता है। एक किसान अधिकतम पाँच पशुओं का बीमा करवा सकता है। प्रत्येक पशु पर 40,000 रुपये तक का बीमा कवर उपलब्ध कराया जाता है।
प्रीमियम और सरकार की सहायता
पशु बीमा का प्रीमियम बहुत कम रखा गया है, ताकि हर किसान आसानी से इसका लाभ उठा सके। खास बात यह है कि प्रीमियम राशि का 70% हिस्सा राज्य सरकार वहन करती है जबकि शेष 30% किसान को देना होता है। यह सहायता सीधे छोटे और मध्यम किसानों को राहत देने के लिए है।
आवेदन प्रक्रिया
योजना का लाभ उठाने के लिए किसान को नजदीकी पशुपालन विभाग के ई-मित्र केंद्र पर आवेदन करना होगा। इसके लिए किसान को पशु का फोटो, आधार कार्ड, बैंक पासबुक और संबंधित दस्तावेज जमा करने होंगे। आवेदन स्वीकृत होने के बाद किसान को बीमा पॉलिसी सर्टिफिकेट मिल जाता है।
किसानों को मिलेगा सीधा लाभ
इस योजना से लाखों किसान और पशुपालक लाभान्वित हो रहे हैं। बीमारियों या दुर्घटनाओं के कारण पशुओं की मौत होने की स्थिति में परिवार को त्वरित मुआवजा मिलता है। इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुधरती है बल्कि पशुपालन के प्रति उनका विश्वास भी बढ़ता है।