भारत में कृषि को रीढ़ की हड्डी माना जाता है क्योंकि बड़ी संख्या में लोग खेती से जुड़े हुए हैं। लेकिन हाल के वर्षों में खाद और यूरिया के दाम लगातार बढ़ने से किसानों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। खेती पहले ही मेहनत का काम है और अब बढ़ती लागत ने इसे और चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
डीएपी यूरिया के नए दाम
ताजा जानकारी के अनुसार 2023 से खाद और यूरिया की कीमतों में बड़ा इजाफा हुआ है।
- डीएपी खाद (50 किलो) : 1350 रुपये
- यूरिया (45 किलो) : 266.50 रुपये
- एनपीके (50 किलो) : लगभग 1470 रुपये
- एमओपी (50 किलो) : 1700 रुपये
इस प्रकार एक किसान को अपनी फसल की जरूरत पूरी करने के लिए अब पहले से कहीं ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।
दाम बढ़ने के कारण
विशेषज्ञों के अनुसार उर्वरक बनाने के लिए कच्चा माल विदेशों से आयात किया जाता है। कच्चे तेल और गैस की बढ़ती कीमतों ने उत्पादन लागत बढ़ा दी है। इसके साथ ही वैश्विक बाजार में कच्चे माल की कमी भी एक बड़ा कारण है। यही वजह है कि यूरिया और डीएपी की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है।
किसानों पर असर
दाम बढ़ने से सबसे ज्यादा असर छोटे और सीमांत किसानों पर पड़ रहा है। उनकी आय पहले से ही सीमित होती है और महंगी खाद लेने से उनकी लागत बढ़ जाती है।
- फसल उत्पादन की लागत बढ़ने से मुनाफा घटता है।
- कई बार किसान उचित मात्रा में खाद नहीं डाल पाते, जिससे पैदावार प्रभावित होती है।
- छोटे किसानों पर कर्ज का बोझ और बढ़ जाता है।
सरकार की भूमिका
सरकार किसानों को राहत देने के लिए खाद पर सब्सिडी देती है।
- 50 किलो की डीएपी की बोरी पर लगभग 350 रुपये की सब्सिडी मिलती है।
- यूरिया पर सरकार 266 रुपये की बोरी पर लगभग 14 रुपये की सब्सिडी देती है।
- इसके अलावा अन्य खादों पर भी अलग-अलग दरों पर सहायता राशि दी जाती है।